Wednesday, July 27, 2011

बारिश

यह हवा कुछ सुना रही है मुझे
ना जाने इसकी आवाज़ धीमी क्यूँ है
इस ख़ामोशी में कुछ इस तरह से इसने जगह बनाई है
की ना तो शोर है,न संगीत है
क्या में ही अकेला हूँ जिसने इसे न सुना
की कोई और भी है जो इससे अनजान है
यह तो पता है की यह बारिश है
पर क्या इसको मुझसे कुछ और भी कहना है
वक़्त के थपेड़ों ने
जीवन की दौड़ ने
शायद मुझे बेहरा कर दिया है
पर जितना भी मुझे सुनाई दे रहा है
क्या यही जीवन का संगीत है...???

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